सर सी वी रमन के व्यक्तित्व से रुबरु हुए बच्चे
भारत रत्न सी वी रमन आधुनिक भारत के सबसे महान वैज्ञानिक थे और हमारे देश के लंबे इतिहास में बड़े महान बुद्धिजीवियों में से एक थे।उनका दिमाग़ हीरे जैसा था, जिसे उन्होंने पढ़ा और समझाया। उनके जीवन का कार्य रौशनी की प्रकृति पर प्रकाश डालना था और विज्ञान के लिए उन्होंने जो नया ज्ञान हासिल किया, उसके लिए दुनिया ने उन्हें कई तरह से सम्मानित किया। उक्त बातेँ सी वी रमन की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में नवसृजित प्राथमिक विद्यालय चकचनरपत के सहायक सह फोकल शिक्षक मो फैयाज अहमद ने बच्चों को बताया। आगे बताते हुए कहा कि 7 नवंबर 1888 में तिरुचिलापल्ली, मद्रास प्रेसीडेंसी ब्रिटिश भारत (अब तमिलनाडु, भारत)में सर चंद्रशेखर वेंकट रमन का जन्म हुआ था। 21नवंबर 1970को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत बैंगलोर, मैसूर, भारत में हो गई। रमन एक भारतीय भौतिक वैज्ञानिक थे, प्रकाश प्रकीर्णन के क्षेत्र में अपने काम के लिए जाने जाते थे। उनके द्वारा विकसित स्पेक्टोग्राफ का उपयोग करते हुए पाया कि जब प्रकाश एक पारदर्शी सामग्री से गुज़रता है, तो विक्षेपित प्रकाश अपनी तरंग दैर्ध्रय और आकृति को बदल देता है। इस खोज को रमन प्रभाव या रमन प्रकीर्णन कहा गया। इसके लिए 1930 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मौक़े पर विद्यालय के प्रभारी प्रधान सुरेश कुमार, ममता कुमारी, विकास पासवान, कृष्ण कुमार पंडित, शिवानी कुमारी, कुमारी वंदना तथा सभी बच्चे मौजूद थे।
