29 साल पहले भी संसद में दो बार हुई थी गैलरी से कूदने की घटना, जानिए तब क्या दी गई थी सजा?
बुधवार यानि कि 13 दिसंबर को स्मोक अटैकर्स ने देश की सबसे सुरक्षित इमारत संसद में उत्पात मचा दिया. हुआ यह कि शून्य काल के दौरन सांसदों से खचाखच भरी लोकसभा में दो शख्स दर्शक गैलरी से कूद गए. फिलहाल मामले में संसद के अंदर से दो जबकि बार से दो लोगों को अरेस्ट किया गया है. अब जांच के बाद उन पर आरोप तय किए जा सकते हैं. इसी बीच आइए जानते हैं कि इससे पहले ऐसी घटना कब हुई थी और मामले में क्या सजा दी गई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक 1994 में ही ऐसा दो बार सामने आया था जब विजिटर्स गैलरी से शख्स लोकसभा में कूद गए थे.
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इस दिन एक शख्स लोकसभा में कूद गया था. मामले में,लोकसभा के तत्कालीन डिप्टी स्पीकर एस मल्लिकार्जुनैया ने सदन को सूचित करते हुए बताया था कि, ‘खुद को श्री बालाजी लाल का पुत्र प्रेम पाल सिंह सम्राट बताने वाला एक शख्स विजिटर्स गैलरी से सीधे लोकसभा के कक्ष में कूद गया और नारे लगाने का प्रयास किया. यह घटना दोपहर लगभग 11.20 बजे हुई थी. इस घटना का सोर्स 2001 में लोकसभा सचिवालय द्वारा संकलित संसदीय विशेषाधिकार: डाइजेस्ट ऑफ केस (1950-2000), खंड II में दर्ज है. रिकॉर्ड में यह कहा गया है कि सुरक्षा अधिकारियों ने उस व्यक्ति को तुरंत हिरासत में ले लिया और उससे पूछताछ की थी.
इस मामले में कोई सजा नहीं दी गई
तत्कालीन डिप्टी स्पीकर मल्लिकार्जुनैया ने सदन को यह भी सूचित किया था कि पाल सिंह सम्राट ने इसके बाद एक बयान दिया है और अपने किए पर खेद व्यक्त किया था. इसके बाद तत्कालीन संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुकुल वासनिक ने एक प्रस्ताव पेश करते हुए कहा, “सदन का संकल्प है कि खुद को प्रेम पाल सिंह सम्राट कहने वाले व्यक्ति ने गंभीर अपराध किया है और सदन की अवमानना का दोषी है. हालांकि प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि सदन की बैठक के दौरान सर्वसम्मति से कड़ी चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था.
24 अगस्त 1994
दूसरी घटना उसी साला अगस्त की है. जब 24 अगस्त को सुबह 11.06 बजे मोहन पाठक पुत्र हरगोबिंद पाठक विजिटर्स गैलरी से लोकसभा कक्ष में नीचे कूद गए. इस दौरान उसने भी नारे लगाए. यह घटना भी लोकसभा सचिवालय द्वारा संकलित केस डाइजेस्ट में दर्ज है. उस रिकॉर्ड के अनुसार इसी दौरान एक अन्य शख्स मनमोहन सिंह पुत्र प्राग दत्त ने विजिटर्स गैलरी से नारे लगाए. दोनों व्यक्तियों को तुरंत हिरासत में ले लिया गया था और सुरक्षा अधिकारियों द्वारा पूछताछ की गई. तत्कालीन डिप्टी स्पीकर मल्लिकार्जुनैया ने सदन को सूचित किया कि दोनों ने बयान दिए हैं लेकिन अपने कृत्य पर खेद व्यक्त नहीं किया है.
इस बार माफी नहीं मांगी तो दी मामूली सजा
खास बात यह है कि इस बार दोनों को मामूली सजा दी गई थी क्योंकि दोनों ने माफी नहीं मांगी थी. इस बार भी वासनिक ने घटना से संबंधित एक प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने स्वीकार कर लिया. प्रस्ताव में कहा गया कि दोनों ने गंभीर अपराध किया है और सदन की अवमानना के दोषी हैं. उन्हें शाम 6.00 बजे तक कठोर कारावास की सजा दी जानी चाहिए. इसके बाद 26 अगस्त, 1994 को उन्हें तिहाड़ जेल दिल्ली भेज दिया गया था.
