हफ्ता, महीना या साल… कब तक संबंध नहीं बनाना क्रूरता के दायरे में आएगा? फिर मिल सकता है तलाक
जब दो लोग शादी करते हैं तो अग्नि के सामने सात फेरे लेकर एक दूसरे के साथ जीवन भर रहने का वादा करते हैं. वादा इस बात का सुख और दुख की घड़ी में एकदूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे. आज से करीब 40-50 साल पहले तक तलाक की खबरें कम सुनाई देती थी. लेकिन शायद अब सात फेरों का बंधन कमजोर हो रहा है. अगर ऐसा नहीं होता तो तलाक के मामले कम सुनाई देते.
अब बात जब तलाक की हो रही है तो आखिर वो कौन सी वजहें जो एक दूसरे से अलग होने का आधार बनाती है. तलाक की जटिलताओं को समझने से पहले हम आपको मध्य प्रदेश हाइकोर्ट के एक फैसले को बताएंगे जिसमें अदालत ने माना कि अगर पति या पत्नी में से कोई शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करता है तो वो ना सिर्फ मानसिक क्रूरता की कैटिगरी में आता है बल्कि तलाक का आधार भी है. अब पहले जानें कि मामला क्या है
तलाक की अर्जी लगाई जा सकती है. अब यहां समझेंगे कि मानसिक क्रूरता को लेकर हिंदू विवाह अधिनियम क्या कहता है. इसमें इस बात का जिक्र है कि पति या पत्नी को यह साबित करना होगा कि शादी के पांच साल तक दोनों में से किसी एक ने शारीरिक संबंध बनाने से इनकार किया या इमोशनली एक दूसरे को टॉर्चर किया करते थे. दोनों के एक साथ रहने की वजह से सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है.
जब पति या पत्नी दोनों का एक दूसरे से भावनात्मक लगाव है ही नहीं तो दोनों के एक साथ रहने का औचित्य ही नहीं है. हालांकि अडल्ट्री, शारीरिक हिंसा का हवाला देकर 12 महीने से पहले भी डाइवोर्स की अर्जी लगाई जा सकती है, लेकिन इसके लिए पीड़ित पक्ष को अदालत के सामने ठोस साक्ष्य पेश करने होंगे