पर्यावरण बचाने के लिए सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश ने जो किया, दुनियाभर में हो रही चर्चा
पर्यावरण बचाने में भारत का योगदान अतुलनीय है. भारत में सालों और सदियों से नहीं बल्कि युगों-युगों से पेड़ पौधों और नदियों की पूजा हो रही है. जैसे पेड़-पौधों में जान होती है. पीपल में देवता का वास होता है. ‘वट सावित्री’ व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा होती है. लक्ष्मी माता को कमल का फूल पसंद है. हमें वृक्षारोपण करना चाहिए. पेड़ ऑक्सीजन देते हैं उन्हें नहीं काटना चाहिए. नदियों को साफ रखना चाहिए. जैसी बातों के धार्मिक मान्यताओं से जुड़े होने के सराहनीय परिणाम दुनिया ने देखे हैं. अब भारत से करीब 7000 किलोमीटर दूर दुनिया के सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में आस्था और विश्वास के नाम पर धरती को बचाने की मुहिम चलाई जा रही है, जिसकी दुनियाभर में चर्चा हो रही है.
मौलानाओं ने जलवायु परिवर्तन रोकने के तरीकों का पालन करवाने के लिए फतवे जारी किए हैं. इमाम नसरुद्दीन ने अपने एक इंटरव्यू में कहा, ‘दुनिया में सबसे अधिक मुस्लिमों वाले देश के रूप में, हमें एक अच्छा उदाहरण स्थापित करना होगा. कुछ मौलवी पर्यावरणवाद को धर्म से संबंधित मानते हैं. हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि कुछ सर्वेक्षणों से पता चला है कि इंडोनेशियाई लोगों के बीच व्यापक धारणा है कि जलवायु परिवर्तन नाम की कोई चीज नहीं है. लेकिन ग्रीन इस्लाम आंदोलन के समर्थकों का कहना है कि 20 करोड़ से ज्यादा मुसलमानों को शिक्षित करने से बदलाव लाया जा सकता है.
