पृथ्वी दिवस का हुआ आयोजन
प्रखंड अंतर्गत नवसृजित प्राथमिक विद्यालय चकचनरपत में पृथ्वी दिवस के अवसर पर बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण को जाना। विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक सुरेश कुमार तथा सहायक सह फोकल शिक्षक मो फैयाज अहमद ने इस अवसर पर बताया कि पृथ्वी दिवस मनाने का विचार पहली दफा 1969 में युनेस्को सम्मेलन में प्रस्तावित किया गया था। 22अप्रैल 1970 को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में पृथ्वी दिवस मनाया गया। जलवायु संरक्षण हेतु 190 देशों में इस दिवस का नेटवर्क फैला हुआ है।
जीवन के लिए जल, जंगल जरुरी है। हम सबको इसे बचाने हेतु आगे आना होगा। ग्लोबल वार्मिंग का मामला भी इसी से जुड़ा है। समय पर बारिश नहीं होती, तो कहीं वर्षा ही वर्षा। कहीं सुखाड़, तो कहीं बाढ़ ही बाढ़। पर्यावरण से छेड़-छाड़ का ही नतीजा है कि जोशीमठ(उत्तराखंड)में जमीन में पड़तीं दरारें या तुर्कीय में आए भीषण भूंकप। इन्हीं खतरों से आम जनों को बचाने के लिए तालाब, पोखर, गढ़हा, कुआं, पईन, आहर आदि को जीवित करना निहायत जरुरी है। घरों में, विधालयों में वर्षा के जल को रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम से भूमिगत जल के स्त्रोत को संतुलित करना होगा। पेड़-पौधे अधिक से अधिक लगाए जाएं। पेड़ों को काटकर, पहाड़ियों को काटकर, तालाबों को भरकर कंक्रीट के शहर बसाए जा रहें हैं,जो मानव ही नहीं बल्कि सभी जीव जंतुओं के लिए घातक साबित हो रहा है। बढ़ती हुई जनसंख्या, प्लास्टिक/पॉलिथिन का धड़ल्ले उपयोग, चिमनियों/गाड़ियों से निकलते हुए धुएं, टावर से निकलता हुआ रेडिएशन, लाउडस्पीकर/डीजे /मोटर गाड़ियों से निकलती हुई कर्कश आवाजें पर्यावरण को प्रदूषित कर रहें हैं। आधुनिकता के दौर में हम सब अंधे हो चुके हैं। खुद को अगर खुशहाल रखना है, तो पृथ्वी का संरक्षण करना ही होगा।
ममताकुमारी,मनोहरकुमार,विकास पासवान ,कृष्ण कुमार पंडित, शिवानी कुमारी, कु वंदना और बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।